भाषा की परिभाषा
भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरे तक भली-भांति पहुंचा सकता है तथा दूसरे के विचार स्वयं भी स्पष्ट रूप से समझ सकता है। हमें अपने जीवन में दिन-प्रतिदिन अनेक प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं, जिसके लिए एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान- प्रदान करना पड़ता है कभी-कभी विचारों का आदान-प्रदान संकेतों के द्वारा भी कर लिया जाता है| गूंगे ,बहरे ,अंधे व्यक्तियों के लिए विचार- विनिमय का एकमात्र साधन संकेत है। समाज का ज्यादातर काम बोल-चाल तथा लिखा-पढ़ी से चलता है। अतः भाषा सामाजिक व्यवहार का मूल् है। भाषा की सहायता से हमारे मन- मस्तिष्क में नए-नए विचार जन्म लेते है। भाषा की सहायता से ही हम अपने विचारों को भविष्य के लिए सुरक्षित कर सकते हैं।
भाषा किसे कहते हैं?
जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को लिखकर और बोलकर व्यक्त करता है उसे भाषा कहते हैं। उसे भाषा कहते हैं !
दूसरे शब्दों में:- शब्दों द्वारा मन के विचारों के आदान- प्रदान के साधन को भाषा कहते हैं।
भाषा के अंग
भाषा के निम्नलिखित मुख्य अंग होते हैं:
- ध्वनि (Phonetics): ध्वनि भाषा का सबसे छोटा और मौलिक अंग है। इसके माध्यम से हम विभिन्न ध्वनियों का उच्चारण करते हैं, जो शब्दों का निर्माण करती हैं।
- शब्द (Words): ध्वनियों के संयोजन से शब्द बनते हैं। शब्द किसी विचार, वस्तु या भाव को दर्शाते हैं।
- वाक्य (Sentence): जब शब्द एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होते हैं तो वे वाक्य का निर्माण करते हैं। वाक्य का उद्देश्य किसी पूर्ण विचार या संदेश को व्यक्त करना होता है।
- व्याकरण (Grammar): यह नियमों का एक समूह होता है, जो यह निर्धारित करता है कि शब्दों और वाक्यों का सही ढंग से उपयोग कैसे किया जाए।
- अर्थ (Meaning): भाषा का अंतिम उद्देश्य अर्थ होता है। बिना सही अर्थ के, भाषा का कोई महत्व नहीं होता।
भाषा के प्रकार
भाषा 3 प्रकार के होते हैं:-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
1.मौखिक भाषा (Verbal Language):
मौखिक भाषा, भाषा का मूल रूप है। मौखिक भाषा बोली जाती है, जबकि लिखित भाषा लिखकर व्यक्त की जाती है। प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है। संस्कृत, हिंदी तथा मराठी भाषाओं की लिपि देवनागरी है। अंग्रेजी रोमन लिपि में, उर्दू फारसी लिपि में तथा पंजाबी गुरुमुखी लिपि में लिखी जाती है| इसी प्रकार अन्य सभी भाषाओं की भी अपनी -अपनी लिपिया होती है|
2.लिखित भाषा (Written Language):
लिखित भाषा का महत्व इस तथ्य से और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है कि इसकी सहायता से सभ्य समाज में नई पीढ़ी को शिक्षा दी जाती है। अपने पूर्वज विचारकों, वैज्ञानिकों के विचार हम लिखित भाषा के माध्यम से ही जान पाते हैं। लिखित भाषा हमें शिक्षित ही नहीं बनाती अपितु मानवीय मूल्यों के प्रति सजग तथा सचेत करके हमें सभ्य तथा सुसंस्कृतिक बनाती है।
3.सांकेतिक भाषा (Sign Language):
जब कोई अपने बातों को संकेत के माध्यम से समझाएं या समझे उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं ।
4.कृत्रिम भाषा (Artificial Language):
यह वह भाषाएँ होती हैं जो विशेष उद्देश्यों के लिए बनाई जाती हैं, जैसे प्रोग्रामिंग भाषाएँ (C++, Java आदि)।
निष्कर्ष
भाषा मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह न केवल संवाद का माध्यम है बल्कि संस्कृति और सभ्यता को संरक्षित और स्थानांतरित करने का भी महत्वपूर्ण साधन है। भाषा के अंगों और प्रकारों को समझकर हम इसे और प्रभावी तरीके से उपयोग कर सकते हैं।